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Saturday, May 21, 2016

हर मौसम में गरम हैं धरम

कसरती शरीर,कसी हुई कद-काठी बावजूद इसके धर्मेन्द्र अपने दौर के हैंडसम अभिनेताओं में गिने गए। एक्शन फिल्मों के लिए मुफीद कद-काठी के बावजूद धर्मेन्द्र को रोमांटिक हीरो के तौर पर ज्यादा सफलता मिली। यानी एक्शन हो या रोमांस -धर्मेन्द्र हर रोल और हर दौर दौर में हिट होने के साथ साथ फिट रहे। माचोमैन जैसी छवि के बावजूद धर्मेन्द्र  रोमांटिक फ़िल्में बनाने वाले निर्देशकों की पहली पसंद रहे। 

8 दिसम्बर, 1935 को साहनेवाल, पंजाब में जन्मे धर्मेन्द्र को फिल्मों का शौक दिलीप कुमार की फ़िल्में देख कर लगा /पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी नहीं थी कि वो अभिनेता बनने की सोचते लेकिन पिता की मर्जी के बगैर उन्होने एक फ़िल्मी पत्रिका में छपे विज्ञापन के मुताबिक़ अपनी तस्वीरें मुंबई भेजी और चुन लिए गए। इस तरह हिंदी फिल्मों में उनकी शुरुआत हुई।  1961 में उन्हें निर्माता-निर्देशक अर्जुन हिंगोरानी ने उन्हें फिल्म "दिल भी तेरा हम भी तेरे "में पहला ब्रेक दिया। इस फिल्म में धर्मेन्द्र ने एक रोमांटिक हीरो का किरदार निभाया था जिसे काफी पसंद किया गया। 1960 से लेकर 1967 तक धर्मेन्द्र ने कई रोमांटिक फ़िल्में की और नूतन,माला सिन्हा से लेकर मीणा कुमारी ,आशा पारेख और नंदा तक सभी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ काम किया।इस दौर की फिल्मों में बंदिनी ,आयी मिलन की बेला ,दिल ने फिर याद किया और काजल जैसी सफल फ़िल्में धर्मेन्द्र के खाते में दर्ज़ हुई। 1975 में शोले के रिलीज होने से पहले तक धर्मेन्द्र रोमांटिक हीरो के तौर पर स्थापित हो चुके  रमेश सिप्पी की शोले ने उनकी इमेज को पूरी तरह बदल कर रख दिया। शोले ने धर्मेन्द्र के साथ साथ हिंदी फिल्मों का भी कायाकल्प करके रख दिया। इस फिल्म के साथ ही धर्मेन्द्र  करियर के नए युग की शुरुआत हुई। 


1976 से 1984 के बीच धर्मेन्द्र ने कई बड़ी एक्शन फिल्मों में काम किया इनमे धर्मवीर ,बगावत ,चरस ,राजतिलक और आजाद जैसी सफल फ़िल्में शामिल हैं। इसके साथ ही अमिताभ बच्चान की एंग्रीयंगमैन की इमेज के साथ एक अलग किस्म की एक्शन फिल्मों की धारा भी विकसित हो रही थी जिसकी वजह से धर्मेन्द्र की हीमैन मार्का एक्शन फिल्मों की धारा धीमी पड़ने लगी। और धीरे-धीरे धर्मेन्द्र का फ़िल्मी करियर भी ढलान पर आने लगा। इसके बावजूद वो इंडस्ट्री के बड़े निर्देशकों की पसंद बने रहे। अनिल शर्मा की फिल्म "हुकूमत" से धर्मेन्द्र की तीसरी पारी शुरू हुई। हुकूमत ,इलाका ,तहलका जैसी फिल्मों से धर्मेन्द्र एक ख़ास किस की फिल्मों में टाइप्ड होते नज़र आये। जिसे बॉलीवुड में दोयम दर्जे की फ़िल्में भी कहा जाता है। बहरहाल फ़िल्में जिस भी दर्जे की रही हो उनके निर्मातों ने धर्मेन्द्र के बूते खूब पैसे बटोरे। उम्र उनपर भी हावी होने लगी थी। वक़्त की नजाकत को  भांपते हुए उन्होने काम की रफ़्तार को काम कर दिया और बेटे सनी को फिल्म बेताब से बॉलीवुड में लांच कर फिल्ममेकिंग के क्षेत्र में उत्तर आये।आगे चलकर उन्होने दुसरे बेटे बॉबी देओल को भी फिल्म बरसात से बॉलीवुड में एंट्री दिलवाई। बॉलीवुड में दो बेटों की मौजूदगी के बावजूद धर्मेन्द्र को लेकर दर्शकों का क्रेज काम नहीं हुआ। और 84 साल की उम्र में भी वो फिल्मों में सक्रीय हैं। पिछले दिनों उनकी "अपने और यमला पगला दीवाना जैसी फिल्मों को दर्शकों ने हाथो-हाथ लिया जिससे ये साबित होता है कि धरम जी हर उम्र के दर्शकों के चहेते हैं।   
धर्मेन्द्र को बॉलीवुड में उनके रोमांटिक मिजाज के लिए जाना जाता है।कसरती काया के अंदर एक नाजुक सा दिल -धर्मेन्द्र के पूरे व्यक्तित्व की इससे बेहतर परिभाषा नहीं हो सकती।  मीणा कुमारी से लेकर अनीता राज,नूतन आदि तक उनकी करीबियां काफी सुर्ख़ियों में रही।   हेमा मालिनी के साथ उनका प्रेम-प्रसंग और विवाह तो उस समय बॉलीवुड की बड़ी सुर्ख़ियों में शुमार रही।  जब धर्मेद्र ने हेमा मालिनी के साथ सात फेरे लिए, तब तक दोनों एक साथ एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके थे. उस समय धर्मेद्र न केवल विवाहित थे, बल्कि उनकी बेटी की भी शादी हो चुकी थी. बड़े बेटे सनी देओल फिल्मों में आने की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने का फैसला करना जरूर बड़ा मुश्किल रहा होगा, लेकिन दोनों ने यह फैसला कर ही लिया. फिल्म शोले के दौरान हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र के प्रेम के किस्सों को खुद फिल्मकारों ने भी सच बताया है. फिल्मी पर्दे पर यह जोड़ी चाहे कितनी भी बेहतरीन दिखे पर असल जिंदगी में दोनों अलग-अलग रहते हैं. जहां हेमा मालिनी अपनी बेटियों के साथ रहती हैं वहीं धर्मेन्द्र सन्नी और बॉबी देओल के साथ रहते हैं.
हेमा मालिनी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा धरम जी को राजनीति में ले आयी। साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीता था. लेकिन संसद के किसी भी सत्र में शामिल ना होने और अपने निर्वाचन क्षेत्र से पूरी तरह गायब रहने के कारण धर्मेंद्र को कई आरोपों का सामना करना पड़ा.राजनीति उन्हें रास नहीं आयी और उन्होने फिर से बॉलीवुड का रुख किया। बहरहाल धर्मेन्द्र इन दिनों भी काम कर ही रहे हैं और उनके चाहनेवालों को यकीन है वो आगे भी अपने गरम धरम को परदे पर देखते रहेंगे। आमीन। 

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