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Friday, May 20, 2016

हॉलीवुड का पहला बॉलीवुड अभिनेता शशिकपूर


आज अगर बॉलीवुड के किसी अभिनेता या अभिनेत्री को हॉलीवुड की फिल्मों में काम करने का मौक़ा मिलता है उसे उनकी बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया जाता है। भले ही वो रोल छोटा या महत्वहीन ही क्यों न हो लेकिन शशि कपूर एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें अंग्रेजी फिल्मों में लगातार काम करने का मौका मिला था। जेम्स आइवरी-इस्माइल मर्चेण्ट की जोड़ी की तीसरा कोण शशि कपूर थे। द हाउस होल्डर , शेक्सपीयरवाला  बॉम्बे टॉकी  तथा हीट एंड डस्ट आदि ऐसी फ़िल्में हैं जो  विदेशों के साथ भारत में भी सराही गई.शुद्ध रूप से कमर्शियल सिनेमा के पैरोकार माने जाने वाले कपूर खानदान से ताल्लुक रखने के बावजूद शशिकपूर ने फिल्मों के आलावा थियेटर को जीवित रखने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जन्मदिन के मौके पर आइये डालते हैं उनके फ़िल्मी सफर पर एक नज़र 
शशि कपूर का जन्म 18 मार्च 1938 को बलबीर राज कपूर के रूप में हुआ। वह पृथ्वीराज कपूर के तीसरे बेटे थे।1944 में शशि ने अपना करियर पिताजी के पृथ्वी थिएटर के नाटक शकुंतला से आरम्भ किया था। राज कपूर की पहली फिल्म 'आग' तथा तीसरी फिल्म आवारा  में उन्होंने राज कपूर के बचपन की भूमिकाएं निभाई थीं। 1957 में जॉफरी केण्डल की टूरिंग नाटक कम्पनी को ज्वाइन किया और शेक्सपीयर के नाटकों में विभिन्ना रोल अदा करने लगे। इसी दौरान जॉफरी केण्डल की युवा बिटिया जेनिफर को उन्होंने नजदीक से देखा और वे प्यार की आंच में तपकर शादी के मण्डप तक जा पहुंचे। कपूर खानदान में इस तरह की यह पहली शादी थी। हिन्दी सिनेमा के आंगन में शशि की एंट्री यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म धर्मपुत्र से हुई। यह फिल्म आजादी के पहले की दशा पर आचार्य चतुरसेन शास्त्री के उपन्यास पर आधारित थी। धर्मपुत्र के बाद चहारदीवारी और प्रेमपात्र जैसी असफल फिल्मों में काम किया। इसके बाद उनकी मेंहंदी लगी मेरे हाथ, प्रेमपत्र, मोहब्बत इसको कहते हैं, नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे, जुआरी,कन्यादान, हसीना मान जाएगी जैसी फ़िल्में आयी लेकिन सारी नाकामयाब रही सही मायने शशिकपूर की कामयाबी का सफर शुरू होता है 1965 में बनी  सूरज प्रकाश निर्देशित फिल्म जब-जब फूल खिले से।'एक था गुल' गीत के द्वारा कही गई रोमांटिक टेल ने सिल्वर गोल्डन जुबिली मनाई। इस फिल्म में उनकी नायिका थी नंदा। इस फिल्म के साथ ये जोड़ी भी हिट हो गयी इस फिल्म के बाद उनके पास फिल्मों के अम्बार लग गए। सत्तर के दशक में शशि कपूर के पास 150 फिल्मों के अनुबंध थो। वह एक दिन में तीन या चार फिल्मों की शूटिंग में पहुंच जाते थे। यह देख उनके बड़े भाई राज कपूर ने उन्हें टेक्सी तक कहा था कि जब बुलाओ तक आ जाती है और मीटर डाउन रहता है। ऐसी तल्ख टिप्पणी का एक कारण यह भी था कि शशि फिल्म 'सत्यम शिवम सुन्दरम' फिल्म तक के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे। लेकिन उनकी यही व्यस्तता उनके लिए अभिशाप साबित हुई।  जरूरत से ज्यादा फिल्मों में काम करने के कारण शशि ने अभिनय की गुणवत्ता खो दी। ऐसी कई महत्वहीन फिल्में उन्होंने की जो उनकी फिल्मोग्राफी को कमजोर करती है।

अमिताभ का साथ : गोल्डन टच

अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी और दर्शकों द्वारा पसंद की गई। दीवार कभी-कभी  त्रिशूल  काला पत्थर , ईमान धरम सुहाग , दो और दो पांच  शान , नमक हलाल और सिलसिला जैसी यादगार फिल्में उन्होंने दी है।कैरियर के ढलान पर शशि अपने होम प्रोडक्शन शेक्सपीयरवाला के द्वारा फिल्म निर्माण में उतरे और  अलग तरह का परचम फहराने की कोशिश की। देश के दिग्गज फिल्मकारों के सहयोग से उन्होंने श्याम बेनेगल के माध्यम से जूनून तथा कलयुग  अपर्णा सेन के निर्देशन में 36 चौरंगी लेन  गोविंद निहलानी से विजेता  तथा गिरीश कर्नाड से उत्सव  निर्देशित कराकर अलग प्रकार का सिनेमा रचने की कोशिश में करोड़ों रुपये गंवाए, लेकिन ये फिल्में आज भी मील का पत्थर मानी जाती हैं। भारत-सोवियत सहयोग तथा अपने निर्देशन में उनकी फिल्म अजूबा शशि के जीवन की ऐसी बड़ी गलती है कि इसने उन्हें परदे के पीछे पहुंचाकर करोड़ों के घाटे में उतार दिया।साल 1971 में पृथ्वीराज कपूर के निधन के बाद शशि कपूर ने पत्नी जेनिफर के साथ मिलकर पृथ्वी थियेटर की जिम्मेदारी संभाल ली। आज भी उनकी बेटी संजना कपूर थियेटर को लेकर कपूर खानदान के जूनून को आगे बढ़ा रही है।  इस्माइल मर्चेंट की भोपाल में बनी फिल्म इन कस्टडी मुहाफिज के बाद उन्होने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। हाल ही में उन्हें सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया। आजकल वो घर पर ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं। 


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