बॉलिवुड के असली महानायक – दिलीप कुमार
हिन्दी फिल्मों में अगर बिग बी यानि अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक माना जाता है तो इस महानायक के महानायक को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता. हिन्दी फिल्मों में कालजयी किरदार निभा कर दिलीप कुमार ने मात्र 54 फिल्मों के अपने कॅरियर में वह मुकाम हासिल किया जो अच्छे-अच्छे अभिनेता अपनी पूरे कॅरियर में हासिल नहीं कर पाते. दिलीप कुमार हिन्दी सिनेमा जगत के कई बड़े सितारों के लिए रोल मॉडल रहे हैं.

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर, 1922 को वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था. उनके बचपन का नाम मोहम्मद युसूफ खान (Muhammad Yusuf Khan) था. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर(Lala Ghulam Sarwar) था जो फल बेचकर अपने परिवार का पेल पालते थे.
विभाजन के दौरान उनका परिवार मुंबई आकर बस गया. उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा. पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह पुणे की एक कैंटीन में काम करने लगे थे. यहीं देविका रानी की पहली नजर उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया. उन्होंने ही युसूफ खान की जगह नया नाम दिलीप कुमार रखा. पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे.

दिलीप कुमार ने फिल्म “ज्वार भाटा” से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत की. हालांकि यह फिल्म सफल नहीं रही. उनकी पहली हिट फिल्म “जुगनू”( Jugnu) थी. 1947 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बॉलिवुड में दिलीप कुमार को हिट फिल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.
1949 में फिल्म “अंदाज” में दिलीप कुमार ने पहली बार राजकपूर के साथ काम किया. यह फिल्म एक हिट साबित हुई. दीदार (1951) और देवदास(1955) जैसी फिल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा. मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई.

अपने बेहतरीन फिल्मी कॅरियर के बावजूद भी दिलीप कुमार ने मात्र 54 फिल्मों में ही काम किया जिसकी वजह वह फिल्मों में बेहतरीन प्रदर्शन को बनाए रखना बताते हैं.
एक समय ऐसा था जब बॉलिवुड में देवानंद, राजकपूर और दिलीप कुमार की त्रिमूर्ति को सफलता की कसौटी माना जाता था.
दिलीप कुमार की लव लाइफ



दिलीप कुमार को दिए गए पुरस्कार
सबसे अधिक अवार्ड जीतने वाले दिलीप कुमार का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी दर्ज है. अपने जीवनकाल में दिलीप कुमार कुल आठ बार फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पा चुके हैं और यह एक कीर्तिमान है जिसे अभी तक तोड़ा नहीं जा सका.
पहली बार उन्हें 1953 में फिल्म ‘दाग’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था. इसके अलावा आजाद (1955), देवदास (1956), नया दौर (1957), कोहिनूर (1960), लीडर (1964) तथा राम-श्याम (1967) और शक्ति (1982) के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया.
1993 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचिवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था.

फिल्मों के साथ-साथ ट्रेजड़ी किंग दिलीप कुमार राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं. आज भी दिलीप कुमार बॉलिवुड के अहम पुरस्कार और अवार्ड शो में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं. अपने काम के प्रति उनकी लगन को देखकर ही लोग उन्हें बॉलिवुड का असली महानायक और परफेक्शनिस्ट मानते हैं.
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