हिंदी फिल्मों में ख़ूबसूरत अभिनेत्रियों की कमी नहीं। खासकर आज के दौर में जब बेहतरीन मेक-अप और साजो सामान की बदौलत स्टार्स के औसत चेहरे को भी चांद का टुकड़ा बना दिया जाता हो। लेकिन अगर रति अग्निहोत्री की शुरुआती फिल्मों को देखें तो मेकअप ब्यूटी और नेचुरल ब्यूटी के फर्क को आसानी से समझ जा सकता है। रति अग्निहोत्री आज के कई अभिनेत्रियों की तरह खूबसूरत चेहरे और सपाट एक्टिंग वाली बॉबी डॉल की तरह कभी परदे पर नज़र नहीं आयी बल्कि कई बार उनकी दमदार एक्टिंग ने उनकी खूबसूरती पर दर्शकों का ध्यान अटकने नहीं दिया। इस लिहाज से ये मानने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए कि रति अग्निहोत्री को अपने दौर की हीरोइनों में सबसे प्रतिभाशाली अभिनेत्रियो ं की कतार में रखा जा सकता है।
10 दिसंबर 1960 को एक पंजाबी परिवार में जन्मी रति अग्निहोत्री का बचपन मद्रास में बीता. गुड सेफर्ड कॉंवेंट स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई. उन्हें अभिनेत्री बनाने का श्रेय तमिल निर्देशक भारती राजा को जाता है जो उस समय अपनी फिल्म के लिए एक नई हीरोइन की तलाश में थे. सोलह साल की उम्र में रति अग्निहोत्री को उन्होंने अपनी फिल्म पुदिया वरपुकल में मौका दिया. फिल्म सुपरहिट रही और इसने रति अग्निहोत्री को रातों-रात स्टार बना दिया.इसके बाद निर्देशक भारती राजा ने उन्हें अपनी दूसरी फिल्म निरम मराडा पूक्कल में मौका दिया. फिल्म फिर से हिट हुई और रति अग्निहोत्री सिने जगत में सफल अभिनेत्री हो गईं.इसके बाद उन्होंने साउथ की कई फिल्में कीं. सही मायने में हिंदी फिल्मों में उनकी पारी की शुरुआत हुई फिल्म "एक दूजे के लिए से। हिंदी लड़की और दक्षिण भारतीय लड़के के रोमांस पर आधारित इस फिल्म को जबरदस्त कामयाबी मिली और कमल हासन के साथ रति अग्निहोत्री भी बॉलीवुड में छा गयी। हिंदी फिल्मों में शुरू हुआ इनका सफर कामयाबी के बावजूद जल्द ही हिचकोले खाने लगा। गलत फिल्मों के चुनाव ने उन्हें अभिनेत्रियों की भीड़ में शामिल कर दिया। इससे पहले की रति इस भीड़ में गम हो जाती उन्हें फ़र्ज़ और क़ानून की कामयाबी ने बड़ा सहारा दिया। फिल्म में जीतेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी के बावजूद रति के रोल को भरपूर वाहवाही मिली और एक बार फिर वो बड़े निर्माता-निर्देशको की पसंद बन गयी। इसके बाद रति ने कुली,तवायफ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। अगर रति अग्निहोत्री की फिल्मों की कामयाबी का ग्राफ देखें तो उनके कद्रदानों को निराशा हो सकती है क्यूंकि उनकी फिल्मों की संख्यां और कामयाबी के औसत में बहुत अंतर है ,इसके बावजूद जितनी विविधतापूर्ण रोल का मौक़ा रति को मिला उतना शायद ही उनकी समकालीन अभिनेत्रियों को मिला होगा। और उन्होने इन अवसरों को भुना कर फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान भी बना ली।
1985 में रति ने तनुज विरमानी नामक एक कारोबारी से शादी कर फिल्मों को अलविदा कह दिया और अपनी गृहस्थी में रम गयी लेकिन 16 साल बाद फिल्म कुछ खट्टी कुछ मीठी के साथ रति ने फिर से वापसी की। इसके बाद उन्होंने यादें, देव, सोचा ना था जैसी फिल्मों में काम किया।उम्र के साथ बॉलीवुड का माहौल भी बदल चूका था। इस बदले माहौल में रति की उपयोगिता भी एक सीमित रोल में ही सिमट कर रह गयी। इस सीमित दायरे के बावजूद उनके लिए ऑफर्स की कभी कमी नहीं रही। उनकी हाल ही में आयी फिल्म "शॉकिन्स" है इसके अलावा जल्द ही रति कई बैनर्स की फिल्मों में नज़र आएगी।
No comments:
Post a Comment